जब टाटा की इस कार ने बदल दी थी भारत में कार बाजार की सूरत, रातों रात बदल गई थी कंपनी की ‘किस्मत’

नई दिल्ली:

पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे भारतीय उद्योगपति और टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन नवल टाटा का यहां बुधवार को ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया. वह 86 वर्ष के थे. उन्हें सोमवार को उम्र संबंधी बीमारियों के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था और बुधवार उनकी स्थिति “गंभीर” हो गई थी. रतन टाटा के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए मुंबई के नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स में रखा जाएगा. इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को वरली के पारसी शमशान भूमि में लगभग दोपहर के 4 बजे लाया जाएगा. सबसे पहले पार्थिव शरीर को प्रेयर हॉल में रखा जाएगा. इस प्रेयर हॉल में करीब 200 लोग मौजूद रह सकते हैं. यहां करीब 45 मिनट तक प्रेयर होगा. प्रेयर प्रक्रिया पूरा होने के बाद पार्थिव शरीर को इलेक्ट्रिक अग्निदाह में रखा जाएगा और अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की जाएगी. बता दें कि वह मार्च 1991 से 28 दिसंबर 2012 तक टाटा समूह के अध्यक्ष रहे. उसके बाद 2016-2017 तक एक बार फिर उन्होंने समूह की कमान संभाली. उसके बाद से वह समूह के मानद चेयरमैन की भूमिका में आ गये थे. उनका जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था. उन्होंने अपने कार्यकाल में टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और उदारीकरण के दौर में समूह को उसके हिसाब से ढाला. टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने कहा, “हम अत्यंत क्षति की भावना के साथ रतन नवल टाटा को विदाई दे रहे हैं. वास्तव में एक असाधारण नेता हैं जिनके अतुलनीय योगदान ने न केवल टाटा समूह बल्कि हमारे राष्ट्र के मूल ढांचे को भी आकार दिया है. टाटा समूह के लिए टाटा एक चेयरपर्सन से कहीं अधिक थे. मेरे लिए वह एक गुरु, मार्गदर्शक और मित्र थे. उन्होंने उदाहरण पेश कर प्रेरित किया. उत्कृष्टता, अखंडता और नवीनता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के साथ टाटा समूह ने उनके नेतृत्व में अपने वैश्विक पदचिह्न का विस्तार किया. वह हमेशा अपने नैतिक दायरे के प्रति सच्चे रहे.

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